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हरियाणा सरकार को हाईकोर्ट ने दिया झटका,जानिए किस मामले में

सत्य खबर,चंडीगढ़ ।

High Court gave a blow to Haryana Government, know in which case

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को फरीदाबाद के कर्मचारियों की मांगों पर विचार करने को कहा है। हाईकोर्ट ने टिप्पण करते हुए कहा- ” समाज के चतुर्थ श्रेणी वर्ग के साथ होने वाले दर्द, पीड़ा और उत्पीड़न के प्रति अपनी आंखें बंद नहीं कर सकते।”

हाईकोर्ट ने इस संबंध में सरकार के ‘सुस्त और संवेदनहीन’ दृष्टिकोण की भी आलोचना की। जस्टिस संदीप मौदगिल की बैंच ने राम रतन और अन्य द्वारा दायर याचिकाओं का निपटारा करते हुए निर्देश जारी किए।

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याचिकाकर्ताओं में राजमिस्त्री, इलेक्ट्रीशियन हेल्पर, ट्यूबवेल हेल्पर, वाल्वमैन आदि जैसे विभिन्न पदों पर फरीदाबाद नगर निगम के तहत काम करने वाले लोग शामिल हैं। कर्मचारियों ने 25 जनवरी 2019 के आदेश को रद्द करने की मांग की थी जिसमें नागरिक निकाय ने नियमितीकरण के उनके दावे को खारिज कर दिया था।

HC ने खारिज कर दी थी याचिका
राज्य सरकार के समक्ष याचिकाकर्ताओं की याचिका खारिज कर दी गई थी क्योंकि वे 1 अक्टूबर 2003 की पॉलिसी के अनुसार पद संभालने के लिए आवश्यक योग्यताएं पूरी नहीं करते थे। हालांकि हाईकोर्ट के सामने उन्होंने ‘समान कार्य के लिए समान वेतन’ के सिद्धांत के अलावा इस न्यायालय के साथ-साथ शीर्ष न्यायालय की विभिन्न न्यायिक घोषणाओं का हवाला दिया था, जिसमें सचिव, कर्नाटक राज्य और अन्य बनाम उमादेवी और अन्य शामिल थे।

कोर्ट ने ये की टिप्पणी
जसटिस मौदगिल ने कहा कि याचिकाकर्ता पिछले 30 से अधिक वर्षों से काम कर रहे हैं, जो इस न्यायालय के विचार के लिए पर्याप्त हैं। उनकी सेवाओं की नियमित आवश्यकता है और यदि राज्य सरकार 3 स्वीकृत पदों के अभाव में नियमित नियुक्तियां करने में विफल रहे हैं, याचिकाकर्ताओं को इस आधार पर परेशान नहीं किया जा सकता, जबकि उनकी कोई गलती नहीं है।

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सुस्त रवैये की आलोचना की
कोर्ट ने कहा कि “तत्काल मामला राज्य और उसके सहायकों के सुस्त और संवेदनहीन दृष्टिकोण को प्रदर्शित करने का एक ज्वलंत उदाहरण है, जो इस स्पष्ट तथ्य के लिए दैनिक वेतन के आधार पर याचिकाकर्ताओं की नियुक्ति से संतुष्ट हैं कि वित्तीय देनदारी जिम्मेदारी और प्राथमिक कर्तव्य के मुकाबले न्यूनतम है। यह भारत के संविधान के तहत है, जैसा कि अनुच्छेद 14 और 16 के तहत परिकल्पना की गई है कि राज्य की कोई भी कार्रवाई मनमानी नहीं होनी चाहिए और इसमें भेदभाव और असमानता की गंध भी नहीं होगी।

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